नमस्कार दोस्तो, मैं मंगेश।
मैंने आपको बताया कि मैं गांव से हूँ।
मतलब अभी नौकरी के लिए पुणे में हूँ पर परिवार गांव में ही है।
यह देवर ने भाभी को चोदा कहानी हमारी संगीता भाभी की है जो बहुत चुदक्कड़ हैं।
इनके बारे में क्या कहूँ … इनकी फिगर बहुत फिट है।
दिखने में भी भाभी बहुत मस्त हैं। इनके 3 बच्चे भी हैं।
यह बात 2 साल पहले की जब वे मुझसे बहुत घुल–मिल गई थी।
भाभी मेरे चचेरे भाई की पत्नी हैं।
इनकी शादी को अभी 10 साल हुए थे।
वे हमारे घर के पास में ही रहती थी और गाँव में आपको पता होगा सभी लोग घुल–मिल कर रहते है।
उनका रोज हमारे घर में आना जाना लगा रहता था।
मैं भी उनके घर जाता रहता था।
बात यह है कि मेरी हँसी–मजाक की आदत उनको भी अच्छी लगती थी।
उनकी और मेरी बहुत जमती थी।
मैं कभी खेत तरफ़ जाया करता तो वे भी मेरे साथ मेरी बाइक पर आया करती थी।
मैंने पिछली कहानी में बताया था कि मेरी बहुत सारी जीएफ हैं।
मैं हमेशा उनसे कॉल पर बात किया करता था।
मेरे घर में दोपहर को कोई नहीं होता और होता तो भी मैं दूसरे मकान में जाकर बातें करता था।
हमारे 2 मकान है जो कि आमने–सामने ही है।
भाभी अक्सर घर पर तब आती थी जब मैं अकेला होता था।
वे भी कभी–कभी मेरी जीएफ से भी बात करती।
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उनको क्योंकि पता था कि मेरी बहुत सारी गर्लफ्रेंड हैं
तो मुझे मजाक में कुछ भी बोला करती थी और पूछा करती– कुछ किया या नहीं?
मैं बोलता– हाँ, बहुत बार!
मेरे ऐसे बेबाक बोलने पर वे हँस पड़ती।
उनका भी चक्कर चालू था।
तो मैं भी उन पर डोरे डालना शुरू कर दिया।
पहले तो मुझे डर लगता रहा कि वे कुछ कह ना दें किसी को …
पर उन्हें भी नया लंड चाहिए था।
अब भाभी जब भी हमारे घर आती तो मैं उनके कंधे पर हाथ रखता, पीठ पर हाथ फेरता।
वे कुछ नहीं बोला करती और कोई आ जाए तो दूर होकर बातें करने लगती।
मैं समझ गया कि लाइन क्लीयर है।
ऐसे ही हम रोज मिलने लगे; कभी वे मेरे घर आती तो कभी मैं उनके घर जाता।
कभी–कभी मैं उनके बहुत करीब होकर उनके पेट पर हाथ रखकर हाथ फेरना चालू कर देता।
तो कभी पीठ पर तो कभी कमर पर और कभी मौका मिले तो गांड पर भी हाथ फेरता।
फ़िर भी वे मुझे कुछ नहीं बोला करती थी।
मुझे यह तो पता था कि भाभी समझ तो रही है लेकिन मैं एक अच्छा सा मौका ढूंढ रहा था।
हमारे घर में एक बिल्ली थी।
उसको चार बच्चे हुए थे।
एक दिन भाभी हमारे घर पर आई।
उनकी दो बेटियां और एक लड़का भी उनके साथ आए थे।
भाभी को पता था कि हमारे घर में जो बिल्ली है उसको बच्चे हुए हैं।
उन्होंने मुझसे कहा– दिखाओ बिल्ली के बच्चे हमें भी!
तब मैं उनको जहां बिल्ली थी वहां ले गया।
बिल्ली घर के एक कोने में रहती थी।
भाभी बिल्ली के बच्चे को देखने लगी।
वो जगह क्योंकि कोने में थी इसलिए वहां थोड़ा अंधेरा था।
मैं इस मौके का फ़ायदा उठाने के लिए उनके पीछे चला गया।
जब भाभी झुक कर बिल्ली को देख रही थी तब मैंने उनकी पीठ पर हाथ फेरना चालू कर दिया।
फ़िर भी वे कुछ नहीं बोलीं, बस मजे लेने लगी।
थोड़ी देर में मैं भाभी की गांड पर हाथ फेरने लगा तो भाभी वैसे ही झुक कर मजे लेने लगी।
वे बिल्ली के साथ खेलने का बस नाटक कर रही थी।
मैं समझ गया था कि रास्ता साफ है।
तब मैंने ऐसे ही हाथ आगे करके उनकी चूची पकड़ लिया।
उनकी मुंह से ‘आह’ की आवाज निकल गई और वे सीधी हो गई
क्योंकि उनका सबसे छोटा बच्चा पास में ही था।
वह भी बिल्ली के बच्चे के साथ खेल रहा था।
तब उन्होंने उसे एक काम दे कर वहां से भेज दिया और उसके पीछे जाने
के लिए अपनी दो नंबर की बेटी को भी भेज दिया।
मैंने फिर से उन्हें बिल्ली के बच्चे को देखने के लिए बोला।
वे फिर से झुक गई तो मैंने पीछे से ही उनकी गांड पर अपने लंड से धक्के देने
चालू कर दिए और उनकी चूचियां दबाने लगा।
फिर उन्हें सीधा करके चूमने लगा तो वे भी मेरा साथ देने लगी।
मैंने सीधे उनकी ब्लाउज में हाथ दिया और चूचियों को दबाने लगा।
भाभी को बहुत मजा आने लगा और मुझे भी।
तुरंत ही उनकी बड़ी बेटी आ गई तो हम अलग हो गए।
फिर भाभी मुझे इशारे में ही पूछने लगी– कब से मैं आपको पसंद हूँ?
मैंने कहा– बहुत दिन हो गए, लेकिन कभी आपने मौका ही नहीं दिया!
फिर वे मुझसे पूछी– मुझमें ऐसा क्या देखा? मुझे भी बताइए!
भाभी को अपनी तारीफ सुनना बहुत अच्छा लगता था क्योंकि वे बहुत तैयार होकर कहीं भी जाती थी।
हर जगह उन्हें ऐसा ही लगता था कि सभी कोई उन्हें ही देखे, उनकी चूचियां और गांड को घूरे!
उन्होंने फिर से अपनी बड़ी बेटी को वहां से एक काम देकर भगा दिया।
अब वे मेरे पास खड़ी थी तो मैंने फिर से अपना काम चालू कर दिया।
मैं उन्हें चूमने लगा।
उनकी गाल पर चूमते–चूमते हुए नीचे उनके चूत में हाथ डाल दिया।
लेकिन साड़ी और पेटीकोट का नाड़ा कसा हुआ होने की वजह से दिक्कत होने लगी।
तब मैं हाथ निकालकर उनकी साड़ी को ऊपर करने लगा.
तो वे मना करने लगी और बोलीं– कोई आ जाएगा!
लेकिन मैं अब कहां रुकने वाला था तो मैंने जबरदस्ती करने की कोशिश की।
उन्होंने फ़िर मना कर दिया और गुस्सा होने लगी।
फ़िर वे बोलीं– रात को मिलते है, भैया के जाने के बाद।
भैया की तब नाइट ड्यूटी चल रही थी तो वे 10:00 बजे चले जाते थे
क्योंकि यहां से उनका कंपनी 12 किलोमीटर दूर थी।
फिर मैंने रात होने का इंतजार किया, 11:00 बजते ही इधर–उधर देखा और
मैं संतुष्ट हो गया कि सभी लोग सो गए होंगे।
मैं हमेशा से अकेला ही सोता था वह भी दूसरे मकान में, तो मैं कहीं बाहर भी
जाता तो मेरे घर वालों को कोई पता नहीं लगता था।
फिर 11:10 में मैं अपने घर के बाहर खड़ा था तो देखा कि भाभी जी के घर का दरवाजा खुला था
और उनके घर से टीवी की आवाज आ रही थी।
मैं उनके घर के अंदर गया और उनसे बोला– मुझे विक्स चाहिए, मेरा सिर दर्द कर रहा है!
उनके पास में था तो उन्होंने मुझे दे दिया।
उनके बच्चे अभी सोए नहीं थे।
फिर मैंने उनसे पानी पीने के लिए मांगा तो वे पानी लाने के लिए किचन में चली गई।
मैं भी उनके पीछे किचन में चला गया और उनको बांहों में ले कर उनके चूचियों को मसलने लगा।
तब उन्होंने मुझे डांटा– बच्चे जगे हुए हैं, अभी कुछ मत करो! मैं आपको रात में कॉल करूंगी।
फिर मैं वहां से पानी पीकर चला आया और सो गया।
रात को उन्होंने मुझे 12:30 पर कॉल किया।
मैं उनसे बातें करने लगा और कहा– आप बहुत सेक्सी हो, मस्त हो, आपकी गांड बहुत अच्छी है।
उन्हें भी बातें सुनकर मजा आने लगा।
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फिर मैंने उनसे कहा– मैं अभी आ जाता हूँ।
तो उन्होंने मना कर दी और नाटक करने लगी।
मैं आधे घंटे तक उनसे बात करता रहा और मनाता रहा पर वे नहीं मानी।
तब मैंने फोन काट दिया और सो गया।
फिर उन्होंने मुझे रात के 2:30 में कॉल किया और कहने लगी– सो गए क्या?
मुझे तो पता था कि अब उनके बच्चे सो गए होंगे और बाहर भी कोई नहीं होगा।
तब मैंने उनसे पूछा और उनके घर में चला गया।
जाकर देखा कि बच्चे नीचे सो रहे थे और पलंग पूरा खाली था।
मैं पलंग पर जाकर बैठ गया और वे मेरे सामने खड़ी थी।
मैंने उनको अपनी तरफ खींच लिया और अपने जांघों पर बिठा लिया।
वे बोलीं– आराम से, कोई शोर मत करना नहीं तो बच्चे उठ जाएंगे।
मैंने उन्हें अपने बांहों में भर लिया और उन्हें चूमने लगा।
वे बहुत गर्म होती चली गई।
मैं लेट गया और वे मेरे ऊपर थी।
उनको चूमते–चूमते मैं उन्हें मसलने लगा।
उनको एक हाथ से अपनी बांहों में पकड़ लिया और एक हाथ से
उनकी गांड के बीच में साड़ी के ऊपर से हाथ से दबा रहा था।
फिर मैंने उनकी साड़ी निकालना चालू कर दिया।
वे सीधा मेरे जांघ पर बैठ गई।
फिर मैंने उन्हें ऊपर से पूरा नंगी कर दिया।
मन कर रहा था कि उन्हें ऐसा ही अपने लंड पर बिठाऊं और चोद डालूं।
उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया।
मैं भी उन्हें चूमते हुए अपने नीचे ले आया और उन्हें नीचे से भी पूरा नंगी कर दिया।
उन्होंने भी मेरे कपड़े निकाल दिए और मेरा लंड हिलाने लगी।
मेरा बड़ा और मोटा लंड देख कर वे बोलने लगी– डाल दे इसे जल्दी से मेरी चूत में,
छोटे लंड से मेरी प्यास नहीं बुझती!
फिर मैं लंड उनके मुंह में देने लगा तो उन्होंने मना कर दिया।
पर मेरे जोर देने पर वे उसे चूसने लगी।
फिर हम 69 की अवस्था में आ गए और मैं उनकी
चूत चाटने लगा और कभी–कभी अपना दांत भी गड़ा देता।
वे अब पूरी तरह पागल हो रही थी क्योंकि उन्हें ऐसा मजा पहले कभी नहीं मिला था।
भाभी अब बहुत तेजी में मेरा मोटा लंड चूस रही थी।
मेरा पूरा लंड उनके गले तक जा रहा था।
10 मिनट में वे एक बार झड़ चुकी थी।
मैं भी 15 मिनट बाद उनके मुंह में ही झड़ गया।
उन्होंने मेरा सारा पानी पी लिया।
हम दोनों लेट गए.
कुछ देर बाद वे कहने लगी– बस करो और मेरी चूत में लंड डालो।
और मेरे लंड को सहला कर खडा कर लिया.
फ़िर मैं उनके ऊपर आ गया और अपना लंड उनकी चूत पर
सेट करके एक ही धक्के में पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया।
उनके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई।
मैंने तुरंत ही उनके मुंह पर अपना हाथ रख दिया क्योंकि बच्चे नीचे ही सो रहे थे।
मैं अब जोर से धक्के देना चालू कर दिया।
वे भी अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी।
उनकी सिसकारियां निकलने लगी, मुझे सुन कर बहुत ही मजा आने लगा।
फिर मैं और भी जोश में उन्हें चोदने लगा।
फ़िर उनकी चूचियां मसलने लगा और चूसने लगा।
उन्होंने मुझे अपने सीने से जोर से पकड़ लिया।
फिर वे बहुत रफ़्तार में अपनी गांड उठाकर, नीचे से धक्के देने लगी
और अपने नाखून से मेरे पीठ पर अपनी पकड़ मजबूत करने लगी।
मुझे पता लग गया की वे अब झड़ने वाली थी।
तो झड़ने से पहले अपनी रफ्तार तेज की और वे झड़ गई।
मैं फ़िर भी उन्हें चोदता रहा।
फिर मैं उन्हें अपने ऊपर ले आया और अपने लौड़े पर बिठा दिया।
मुझे बड़ा मज़ा आता है इसमें!
उन्होंने अब मेरे लंड पर कूदना शुरू कर दिया।
मैंने उनकी चूचियों को पड़कर मसलने लगा।
यह नजारा पूरे 15 मिनट तक चला और मैं अब झड़ने वाला था तो उन्होंने कहा– अंदर ही झड़ जाओ।
वे बहुत थक चुकी थी तो वे मेरे ऊपर लेट गई।
अब समय भी 4 से ज्यादा हो गया था।
तो उन्होंने मुझे जाने को कहा।
पर मुझे उनकी गांड मारनी थी और वे मान ही नहीं रही था।
तब मैं कहने लगा– मैं नहीं जाऊंगा!
इस पर वे गुस्सा हो गई।
मैं भी निकलने लगा पर उन्हें एक बार लंड चूसने के लिए कहा।
उन्होंने मेरा लंड 5 मिनट तक चूसा।
फिर मैं उनके घर से चला आया।
मैं भी बहुत थक गया था तो अपने घर आ कर सो गया।
फिर क्या था, मैं उन विलेज भाभी को ज्यादातर खेत में ही चोदता हूँ और उसकी गांड भी मारी।
वो कहानी कभी और लिखूंगा।
तो दोस्तो, यह देसी भाभी हॉट सेक्स कहानी आपको कैसी लगी मुझे जरूर बताएं।
धन्यवाद!